Top baglamukhi sadhna Secrets



एवं ध्यात्वा परेशानि! बगला-कवचं स्मरेत् ।।४ श्रीबगला-खड्ग-माला-स्तोत्रोक्त्त ध्यान

The initiation of the knowledge provided via the Guru for easy, safe and safe living, which the Expert painstakingly shares being an practical experience, is the 1st observe to attain that know-how-like honor and grace.

१५.ॐ ह्लीं श्रीं अं श्रीभोगिन्यै नमः मुख-वृत्ते (सम्पूर्ण मुख-मण्डल में) ।

अर्थात् ‘शत्रु के विनाश के लिए कृत्या-विशेष भूमि में जो गाड़ देते हैं, उन्हें नाश करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति को वलगहा कहते हैं।’ यही अर्थ वगला-मुखी का भी है। ‘खनु अवदारणे ‘ इम धातु से मुख’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ मुख में पदार्थ का चर्वण या विनाश ही अभिप्रेत होता है। इस प्रकार शत्रुओं द्वारा किए हुए अभिचार को नष्ट करनेवानी महा-शक्ति का नाम ‘बगला-मुखी’ चरितार्थ होता है। श्रीमहीधर ने इसका स्पष्ट अर्थ ऐसा किया है-

पीताम्बर-धरां देवीं द्वि-सहस्त्र-भुजान्विताम । सान्द्र-जिव्हां गदा चास्त्रं, धारयन्तीं शिवां भजे । ।

चन्द्रोद्-भासित-मूर्धजां रिपु-रसां मुण्डाक्ष-माला-कराम् ।

चतुर्भुजी बगला (मेरु-तन्त्रोक्त) गम्भीरां च मदोन्मत्तां, तप्त-काञ्चन-सन्निभाम् । चतुर्भुजां त्रि-नयनां, कमलासन-संस्थिताम

ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।

श्रीब्रह्मास्त्र कल्पोक्त सूर्य- मण्डल-स्थित श्रीबगला- मुखी का ध्यान

षडङ्ग-न्यास : कर – न्यास  ॐ ह्लीं बह्मास्त्राय विह्महे अंगुष्ठाभ्यां नमः स्तम्भन-बाणाय धीमहि तर्जनीभ्यां नमः

इति ते get more info कथितं देवि! कवचं परमाद्भुतम् । ‘श्रीविश्व-विजयं’ नाम कीर्ति-श्री-विजय-प्रदम् ।।१

श्रीब्रह्मा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

४३. ॐ ह्लीं श्रीं रं श्रीरम्भायै नमः – दक्षांसे (दाँएँ कन्धे में) ।

मध्ये-सुधाब्धि मणि-मण्डित-रत्न-वेद्याम् । सिंहासनोपरि-गतां परि-पीत वस्त्राम्॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *